Wednesday, 4 January 2012

Meri Maa




लडखडाते कदमों को संभाला जिसने,
टूटती हुई उमीदों को संवारा जिसने.
हर रिश्ते की परछाई देखता हं जिसमें,
हर मर्ज़ की दवा खोजता हूँ जिसमें.

मेरी मुश्किलों को मुझसे पहले झेला जिसने,
ज़िन्दगी क दोराहे पर न छोड़ा अकेला जिसने.
मेरी हर खामोश भावना को समझा जिसने,
मेरी हर गलती को सुधरा जिसने.
वो छोटी-छोटी बातों पे रूठ जाना मेरा,
फिर कटोरी भर हलवे से मनाना उनका.

आज मीलों दूर बैठा हूँ उनसे
पर दिल क उतना ही करीब पता हं उनके.
हर लम्हे, हर पल में
उनके स्नेह को तरसता हूँ
उनके हर एहसास को तरसता हूँ.

बिन जिनके जीवन का आधार नही ,
वो मेरे जीवन का सार है,
वो ही मेरा संसार है
वो कोई और नही मेरी माँ है
वो कोई और नही मेरी माँ है.

-
देवश्री

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