Wednesday 4 January 2012

Shadow




 काफी दिन बीत गये थे खुद से मिले हुए
कुछ अर्से से बीत गये थे खुद को टटोले हुए.
सोचा पलट के बीते लम्हो को टटोल के देखे
आखिर ज़िन्दगी की किताब में लिखा क्या वो देखे.
देखा जब पलट के उन पन्नो को, तो न जाने क्यूँ
अपनी ही लिखावट कुछ अफगानी सी लगती है
अपनी ही कहानी कुछ बेगानी सी लगती है
अपने ही वादे अब बेमानी सी लगती है
अपनी ही यादें कुछ अनजानी सी लगती है.


दिमाग ने कहा हर घटना का कोई कारण होता है
पर दिल कहता है कुछ चीज़ें अकारण भी होती है
अजीब सी कशमकश है, किसकी माने किसकी नही
दिमाग तो अपना है पर दिल भी पराया नही.


अगले ही पल ये ख्याल आता है
वो जो बीत गया फिर क्यूँ याद आता है
जिसे बदल सकते नही फिर क्यूँ याद आता है
हम तो कबके आगे बढ़ चुके है वो क्यूँ फिर साथ आता है


फिर समझ आया की वो तो खुद का ही साया है
सूरज की ओर बढ़ते हुए पीछे पीछे ही आता है
उस साए से पीछा छुड़ाया जा सकता नही
उसके अन्धकार से सीखे बिना आगे बढ़ा जा सकता नही
-
देवश्री

Papa





आपने,

जीवन में हर प्रयास किये,
हमको खुशीयो का संसार दिया |

हर मुश्किल परेशानी में,
अपने बहुमूल्य विचार दिए |

दूर रहे थे घर से फिर भी,
हर पल साथ होने का एहसास दिया |

कष्ट रोग दुःख भूल के अपने,
हमारे सपनो को साकार किया !

आशा यही हमारे दिल की,
क्षण-क्षण आशीर्वाद रहे आपका,
जीवन भर प्यार मिले आपका !


-
देवश्री

Naari


 माँ के आँचल से नारी से पहली पहचान हुई ,
 दादी-नानी की कहानियों से जीवन की शुरुआत हुई


बहना की राखी ने दायित्वों का ज्ञान दिया,
मित्र रूप में पत्नी ने रिश्तों का नया सार दिया


बेटी ने हमको प्रेम का नया रूप दिखा दिया,
दिल में ख़ुशी आँखों को फिर भी नम करा दिया.


कुछ तो किस्मत होगी भी आपकी,
जो हर रूप में स्त्री ज़िन्दगी में आये आपकी.


--
देवश्री



Benaam


ना जाने क्या होता है प्यार
ना जाने कैसे होता है प्यार
हम सोचते थे अक्सर
ज़िन्दगी टटोलते थे अक्सर
एक दिन आया जब हमने  भी इज़हार किया
अपने दिल का हाल बयाँ किया
उनके जवाब का चौबीस घंटे इंतज़ार किया
उत्तर जो आया वो इस तरह से आया.......
वो कहती है हमें भूल जाओ,
हम कहते है खुद को किअसे भूल जाएँ .
वो कहती है बातों में ना बहकाओ हमें,
हम कहते है बहके हुए है हम क्या बेह्कायेंगे तुम्हे .
वो कहती है उनके दिल की चाभी खो गयी है कहीं.
हम कहते है हम भी अपना दिल भूल आये है वहीँ.
अब तो हर ख्याल में 
सैंकड़ों सवाल दिखाई देते है 
और इन सवालों में अपना 
दिल खोता सा दिखाई देता है 
हर सवाल का जवाब जब 
दिमाग से दिया करते थे
अब ये कमबख्त दिल 
क्यों अपनी टांग अडाता है.
इन बहते गहरे घावों पर
तर्कों के तीर चलाता है
हम ढाल लिए खड़े है उन तीरों से ना डरेंगे.
बढ़ गये है जो कदम ज़िन्दगी में पीछे हम ना हटेंगे 
मिल गया है जवाब हमें इंतज़ार फिर भी हम करेंगे.
-
देवश्री


Aakhiri Salaam


आज मैं जब कलम उठाता हूँ लिखने को
यादों की स्याही में उसे डुबोता हूँ
कुछ बिगड़ी तो कुछ सँवारती दास्तानें लिखने को
कुछ बिखरे पालो को समेटने को
तो दिल ठहर सा जाता है
यादें कुछ सजीव सी हो उठती है

वो नैनी से लौटती बस का सफ़र
नैनी पुल पे फोटो खीचने का वो दौर
वो कटरा की लस्सी, नेतराम की मिठाई
वो हर नौटंकी में हमारा कूद जाना
वो मार मार क जन्मदिन मनाना

वो हर class में आगे बैठ के भी सो जाना
वो पुष्प मेमोरिया की class में चप्पलें घिसना
वो DPC सर की क्लास में आशे-बाशे करना
वो RA सर की serious serious class
और तनवीर मैडम के स्लीपी स्लीपी hours

हमारे NP सर की मुस्कान
कहे की आने वाला है तूफ़ान
और वो लाहिरी सर की मुस्कान
बोले जाग गया शैतान
वो assignment  की छपाई
और आखिरी रात की पढ़ाई

ये पल जो बीत गये
फिर लौट के न आयेंगे
जी गये जो लम्हे उन्हें
फिर हम से जी न पायेंगे
आभारी हूँ मैं आप सभी का
जो साथ निभा दिया
मैं तो तनहा चला था सफ़र में
कारवाँ आपने बना दिया

-
देवश्री

Meri Maa




लडखडाते कदमों को संभाला जिसने,
टूटती हुई उमीदों को संवारा जिसने.
हर रिश्ते की परछाई देखता हं जिसमें,
हर मर्ज़ की दवा खोजता हूँ जिसमें.

मेरी मुश्किलों को मुझसे पहले झेला जिसने,
ज़िन्दगी क दोराहे पर न छोड़ा अकेला जिसने.
मेरी हर खामोश भावना को समझा जिसने,
मेरी हर गलती को सुधरा जिसने.
वो छोटी-छोटी बातों पे रूठ जाना मेरा,
फिर कटोरी भर हलवे से मनाना उनका.

आज मीलों दूर बैठा हूँ उनसे
पर दिल क उतना ही करीब पता हं उनके.
हर लम्हे, हर पल में
उनके स्नेह को तरसता हूँ
उनके हर एहसास को तरसता हूँ.

बिन जिनके जीवन का आधार नही ,
वो मेरे जीवन का सार है,
वो ही मेरा संसार है
वो कोई और नही मेरी माँ है
वो कोई और नही मेरी माँ है.

-
देवश्री

Satya...........The Truth



आज जब कलम उठाई लिखने को
हज़ार भंवर थे मन में पर शब्द नही थे लिखने को

पल भर सोचा, बिखरी हुई यादों को समेटा,
कुछ अनकही बातों को समझा .
कुछ चलचित्र सजीव हुए आँखों में
कुछ पात्र नज़र आये ज़िन्दगी में.
ओढ़े हुए थे चादर सच्चाई की,
पर कपट छुपा था दिल की गहराई में.

उन्हें मित्र बनाए बैठे थे,
वो षड़यंत्र रचाए बैठे थे.
हम सेज सजाये बैठे थे,
वो चिता बनाये बैठे थे.
कुछ समझ नही हम पाए थे,
वो क्या क्या अंजाम संजोय बैठे थे.

टूट गया हर रिश्ता था,
बिखर गयी हर चाह थी.
जब छिन गया वो नकाब था,
जब उतर गयी वो चादर थी.
मन ज्वालामुखी सा उबल रहा था,
और हृदय सूर्य सा जल रहा था.

दिल को बार बार बहला रहे थे,
मन को बार बार समझा रहे थे.
हर प्रयास असफल हो रहा था,
हर कोशिशें नाकाम दिख रहीं थी.
किसी चेहरे पर सद्भाव नही अब दिखता है,
किसी और पर विशवास नही अब होता है,
बस झूट दिखाई पड़ता है,
बस कपट दिखाई पड़ता है.

हे जगदीश, मुझे तुम ज्ञान दो,
इस जीवन का तुम सार दो,
मै शरण तुम्हारी आया हुं.
मै शरण तुम्हारी आया हुं..

- देवश्री

Samay


वक्त कभी न रुकता है,
हर पल वह आवाजें देता है,
हम फिर  भी साथ न चलते हैं.


जो पल से कदम मिला कर चलते हैं,
वह मंजील को पा लेते है.
वक्त हमारा शिक्षक है,
हर पल वह शिक्षा देता है.
इन अनुभव से हम
आगे बढते जाते हैं.


वक्त हमारा मित्र हैं,
हर पल वह खुशियाँ देता है.
हर पल - हर मुशिकल में,
वह साथ निभाता हैं.


वक्त कभी न रुकता है,
हर पल वह आवाजें देता है,
हम फिर भी साथ न चलते हैं.
रो-रो कर जीवन यापन करते हैं


मित्रों की टोली को आगे बढ़ते देख,
हम आहें भरते रहते है.


वक्त कभी न रुकता है,
हर पल वह आवाजें देता है,


हम फिर भी साथ न चलते हैं.
हम फिर भी साथ न चलते हैं.....................