Wednesday 3 October 2012

Rangmanch

रंगमंच




क्यूँ दिल नहीं अब धड़कता है,
क्यूँ सांस नही अब चलती है |
क्यूँ नज़र नही अब आता है,
और क्यूँ एहसास नहीं अब होता है |

जीवन एक रंगमंच सा दिखता है,
लम्हा - लम्हा कुछ पूर्व लिखित सा लगता है |
धरम - करम सब मिथ्या लगने लगता है,
कतरा - कतरा सब निर्देशित सा लगता है |

सब रंगमंच के पात्र हैं ,
वो आज नही कल चले जायेंगे |

जिनका  जितना जितना पात्र है,
वो पात्र निभा कर चले जायेंगे |

क्या सच क्या झूठ सब ,
बेमानी सा लगता है |
सब पटकथा का भाग है ,
बस कहानी सा लगता है |

चेहरों में कुछ असल भाव नही दिखते हैं ,
मन में क्यूँ सच्चाई नही दिखती है |
पंछी मन क्यूँ उड़ नही पाता ,
सुनेहेरे पिंजरे को क्यूँ तोड़ नही पता |

क्यूँ डरता है आजादी से ,
उसे कैद का आराम क्यूँ भाता है |
क्यूँ नही तू तोड़ता इन बेड़ियों को ,
क्यूँ जकड़ा है तू इन जंजीरों में |

चल उठ अब ,
बेड़ियों को तोड़,
साहस को जोड़,
जीवन को मोड़,
फैला अपने पंख ,
और उड़ चल क्षितिज की ओर,
इन लिखित पात्रों से दूर ,
बस क्षितिज की ओर ..............

--
देवश्री

Monday 13 February 2012

Mukhaute....... Disguise






    










                    मुखौटे

इंसान सोचते कुछ और है पर कहते कुछ और है 
         कहते कुछ और है पर चाहते कुछ और है 

         एहसास होता है कुछ इजहार करते है कुछ
         चेहरा छुपाते है कुछ मुखौटे लगाते है कुछ

         मुखौटे कुछ ऊँचे इतने की खींच सकते नही 
         स्वाभिमान कुछ ऊँचा इतना की यूँ रुक सकते नही 

कोई कैसे यूँ बेनकाब होगा
         कोई कैसे यूँ बदनाम होगा
न जाने कितने नकाब उतरेंगे 
         न जाने कितने और चढ़ेंगे

ये मुखौटे भरी दुनिया है
         मुखौटे में दब कर रह जायेगी
सच से भरी ज़िन्दगी भी
         झूठ की मोहताज हो जायेगी

पर दिन क्या वो एक आएगा??
या फिर स्वप्न बन ही रह जाएगा??
भोर होगी ज़िन्दगी कभी??
या साँझ में ही ढल जायेगी??
मिलेगा कारवां राहों में ??
या सफ़र ये तनहा ही कट जाएगा??

जब दिन वो एक आएगा,
        हर कथ्य को सत्य मिल जाएगा,
        हर राही मंजिल पायेगा,
        हर चेहरा सामने आएगा,
        हर नकाब उतर जाएगा


--


देवश्री

Wednesday 4 January 2012

Shadow




 काफी दिन बीत गये थे खुद से मिले हुए
कुछ अर्से से बीत गये थे खुद को टटोले हुए.
सोचा पलट के बीते लम्हो को टटोल के देखे
आखिर ज़िन्दगी की किताब में लिखा क्या वो देखे.
देखा जब पलट के उन पन्नो को, तो न जाने क्यूँ
अपनी ही लिखावट कुछ अफगानी सी लगती है
अपनी ही कहानी कुछ बेगानी सी लगती है
अपने ही वादे अब बेमानी सी लगती है
अपनी ही यादें कुछ अनजानी सी लगती है.


दिमाग ने कहा हर घटना का कोई कारण होता है
पर दिल कहता है कुछ चीज़ें अकारण भी होती है
अजीब सी कशमकश है, किसकी माने किसकी नही
दिमाग तो अपना है पर दिल भी पराया नही.


अगले ही पल ये ख्याल आता है
वो जो बीत गया फिर क्यूँ याद आता है
जिसे बदल सकते नही फिर क्यूँ याद आता है
हम तो कबके आगे बढ़ चुके है वो क्यूँ फिर साथ आता है


फिर समझ आया की वो तो खुद का ही साया है
सूरज की ओर बढ़ते हुए पीछे पीछे ही आता है
उस साए से पीछा छुड़ाया जा सकता नही
उसके अन्धकार से सीखे बिना आगे बढ़ा जा सकता नही
-
देवश्री

Papa





आपने,

जीवन में हर प्रयास किये,
हमको खुशीयो का संसार दिया |

हर मुश्किल परेशानी में,
अपने बहुमूल्य विचार दिए |

दूर रहे थे घर से फिर भी,
हर पल साथ होने का एहसास दिया |

कष्ट रोग दुःख भूल के अपने,
हमारे सपनो को साकार किया !

आशा यही हमारे दिल की,
क्षण-क्षण आशीर्वाद रहे आपका,
जीवन भर प्यार मिले आपका !


-
देवश्री

Naari


 माँ के आँचल से नारी से पहली पहचान हुई ,
 दादी-नानी की कहानियों से जीवन की शुरुआत हुई


बहना की राखी ने दायित्वों का ज्ञान दिया,
मित्र रूप में पत्नी ने रिश्तों का नया सार दिया


बेटी ने हमको प्रेम का नया रूप दिखा दिया,
दिल में ख़ुशी आँखों को फिर भी नम करा दिया.


कुछ तो किस्मत होगी भी आपकी,
जो हर रूप में स्त्री ज़िन्दगी में आये आपकी.


--
देवश्री



Benaam


ना जाने क्या होता है प्यार
ना जाने कैसे होता है प्यार
हम सोचते थे अक्सर
ज़िन्दगी टटोलते थे अक्सर
एक दिन आया जब हमने  भी इज़हार किया
अपने दिल का हाल बयाँ किया
उनके जवाब का चौबीस घंटे इंतज़ार किया
उत्तर जो आया वो इस तरह से आया.......
वो कहती है हमें भूल जाओ,
हम कहते है खुद को किअसे भूल जाएँ .
वो कहती है बातों में ना बहकाओ हमें,
हम कहते है बहके हुए है हम क्या बेह्कायेंगे तुम्हे .
वो कहती है उनके दिल की चाभी खो गयी है कहीं.
हम कहते है हम भी अपना दिल भूल आये है वहीँ.
अब तो हर ख्याल में 
सैंकड़ों सवाल दिखाई देते है 
और इन सवालों में अपना 
दिल खोता सा दिखाई देता है 
हर सवाल का जवाब जब 
दिमाग से दिया करते थे
अब ये कमबख्त दिल 
क्यों अपनी टांग अडाता है.
इन बहते गहरे घावों पर
तर्कों के तीर चलाता है
हम ढाल लिए खड़े है उन तीरों से ना डरेंगे.
बढ़ गये है जो कदम ज़िन्दगी में पीछे हम ना हटेंगे 
मिल गया है जवाब हमें इंतज़ार फिर भी हम करेंगे.
-
देवश्री


Aakhiri Salaam


आज मैं जब कलम उठाता हूँ लिखने को
यादों की स्याही में उसे डुबोता हूँ
कुछ बिगड़ी तो कुछ सँवारती दास्तानें लिखने को
कुछ बिखरे पालो को समेटने को
तो दिल ठहर सा जाता है
यादें कुछ सजीव सी हो उठती है

वो नैनी से लौटती बस का सफ़र
नैनी पुल पे फोटो खीचने का वो दौर
वो कटरा की लस्सी, नेतराम की मिठाई
वो हर नौटंकी में हमारा कूद जाना
वो मार मार क जन्मदिन मनाना

वो हर class में आगे बैठ के भी सो जाना
वो पुष्प मेमोरिया की class में चप्पलें घिसना
वो DPC सर की क्लास में आशे-बाशे करना
वो RA सर की serious serious class
और तनवीर मैडम के स्लीपी स्लीपी hours

हमारे NP सर की मुस्कान
कहे की आने वाला है तूफ़ान
और वो लाहिरी सर की मुस्कान
बोले जाग गया शैतान
वो assignment  की छपाई
और आखिरी रात की पढ़ाई

ये पल जो बीत गये
फिर लौट के न आयेंगे
जी गये जो लम्हे उन्हें
फिर हम से जी न पायेंगे
आभारी हूँ मैं आप सभी का
जो साथ निभा दिया
मैं तो तनहा चला था सफ़र में
कारवाँ आपने बना दिया

-
देवश्री