Wednesday 4 January 2012

Benaam


ना जाने क्या होता है प्यार
ना जाने कैसे होता है प्यार
हम सोचते थे अक्सर
ज़िन्दगी टटोलते थे अक्सर
एक दिन आया जब हमने  भी इज़हार किया
अपने दिल का हाल बयाँ किया
उनके जवाब का चौबीस घंटे इंतज़ार किया
उत्तर जो आया वो इस तरह से आया.......
वो कहती है हमें भूल जाओ,
हम कहते है खुद को किअसे भूल जाएँ .
वो कहती है बातों में ना बहकाओ हमें,
हम कहते है बहके हुए है हम क्या बेह्कायेंगे तुम्हे .
वो कहती है उनके दिल की चाभी खो गयी है कहीं.
हम कहते है हम भी अपना दिल भूल आये है वहीँ.
अब तो हर ख्याल में 
सैंकड़ों सवाल दिखाई देते है 
और इन सवालों में अपना 
दिल खोता सा दिखाई देता है 
हर सवाल का जवाब जब 
दिमाग से दिया करते थे
अब ये कमबख्त दिल 
क्यों अपनी टांग अडाता है.
इन बहते गहरे घावों पर
तर्कों के तीर चलाता है
हम ढाल लिए खड़े है उन तीरों से ना डरेंगे.
बढ़ गये है जो कदम ज़िन्दगी में पीछे हम ना हटेंगे 
मिल गया है जवाब हमें इंतज़ार फिर भी हम करेंगे.
-
देवश्री


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