ना जाने क्या होता है प्यार
ना जाने कैसे होता है प्यार
हम सोचते थे अक्सर
ज़िन्दगी टटोलते थे अक्सर
एक दिन आया जब हमने भी इज़हार किया
अपने दिल का हाल बयाँ किया
उनके जवाब का चौबीस घंटे इंतज़ार किया
उत्तर जो आया वो इस तरह से आया.......
वो कहती है हमें भूल जाओ,
हम कहते है खुद को किअसे भूल जाएँ .
वो कहती है बातों में ना बहकाओ हमें,
हम कहते है बहके हुए है हम क्या बेह्कायेंगे तुम्हे .
वो कहती है उनके दिल की चाभी खो गयी है कहीं.
हम कहते है हम भी अपना दिल भूल आये है वहीँ.
अब तो हर ख्याल में
सैंकड़ों सवाल दिखाई देते है
और इन सवालों में अपना
दिल खोता सा दिखाई देता है
हर सवाल का जवाब जब
दिमाग से दिया करते थे
अब ये कमबख्त दिल
क्यों अपनी टांग अडाता है.
इन बहते गहरे घावों पर
तर्कों के तीर चलाता है
हम ढाल लिए खड़े है उन तीरों से ना डरेंगे.
बढ़ गये है जो कदम ज़िन्दगी में पीछे हम ना हटेंगे
मिल गया है जवाब हमें इंतज़ार फिर भी हम करेंगे.
-
देवश्री
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