Wednesday 4 January 2012

Aakhiri Salaam


आज मैं जब कलम उठाता हूँ लिखने को
यादों की स्याही में उसे डुबोता हूँ
कुछ बिगड़ी तो कुछ सँवारती दास्तानें लिखने को
कुछ बिखरे पालो को समेटने को
तो दिल ठहर सा जाता है
यादें कुछ सजीव सी हो उठती है

वो नैनी से लौटती बस का सफ़र
नैनी पुल पे फोटो खीचने का वो दौर
वो कटरा की लस्सी, नेतराम की मिठाई
वो हर नौटंकी में हमारा कूद जाना
वो मार मार क जन्मदिन मनाना

वो हर class में आगे बैठ के भी सो जाना
वो पुष्प मेमोरिया की class में चप्पलें घिसना
वो DPC सर की क्लास में आशे-बाशे करना
वो RA सर की serious serious class
और तनवीर मैडम के स्लीपी स्लीपी hours

हमारे NP सर की मुस्कान
कहे की आने वाला है तूफ़ान
और वो लाहिरी सर की मुस्कान
बोले जाग गया शैतान
वो assignment  की छपाई
और आखिरी रात की पढ़ाई

ये पल जो बीत गये
फिर लौट के न आयेंगे
जी गये जो लम्हे उन्हें
फिर हम से जी न पायेंगे
आभारी हूँ मैं आप सभी का
जो साथ निभा दिया
मैं तो तनहा चला था सफ़र में
कारवाँ आपने बना दिया

-
देवश्री

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