आज मैं जब कलम उठाता हूँ लिखने को
यादों की स्याही में उसे डुबोता हूँ
कुछ बिगड़ी तो कुछ सँवारती दास्तानें लिखने को
कुछ बिखरे पालो को समेटने को
तो दिल ठहर सा जाता है
यादें कुछ सजीव सी हो उठती है
वो नैनी से लौटती बस का सफ़र
नैनी पुल पे फोटो खीचने का वो दौर
वो कटरा की लस्सी, नेतराम की मिठाई
वो हर नौटंकी में हमारा कूद जाना
वो मार मार क जन्मदिन मनाना
वो हर class में आगे बैठ के भी सो जाना
वो पुष्प मेमोरिया की class में चप्पलें घिसना
वो DPC सर की क्लास में आशे-बाशे करना
वो RA सर की serious serious class
और तनवीर मैडम के स्लीपी स्लीपी hours
हमारे NP सर की मुस्कान
कहे की आने वाला है तूफ़ान
और वो लाहिरी सर की मुस्कान
बोले जाग गया शैतान
वो assignment की छपाई
और आखिरी रात की पढ़ाई
ये पल जो बीत गये
फिर लौट के न आयेंगे
जी गये जो लम्हे उन्हें
फिर हम से जी न पायेंगे
आभारी हूँ मैं आप सभी का
जो साथ निभा दिया
मैं तो तनहा चला था सफ़र में
कारवाँ आपने बना दिया
यादों की स्याही में उसे डुबोता हूँ
कुछ बिगड़ी तो कुछ सँवारती दास्तानें लिखने को
कुछ बिखरे पालो को समेटने को
तो दिल ठहर सा जाता है
यादें कुछ सजीव सी हो उठती है
वो नैनी से लौटती बस का सफ़र
नैनी पुल पे फोटो खीचने का वो दौर
वो कटरा की लस्सी, नेतराम की मिठाई
वो हर नौटंकी में हमारा कूद जाना
वो मार मार क जन्मदिन मनाना
वो हर class में आगे बैठ के भी सो जाना
वो पुष्प मेमोरिया की class में चप्पलें घिसना
वो DPC सर की क्लास में आशे-बाशे करना
वो RA सर की serious serious class
और तनवीर मैडम के स्लीपी स्लीपी hours
हमारे NP सर की मुस्कान
कहे की आने वाला है तूफ़ान
और वो लाहिरी सर की मुस्कान
बोले जाग गया शैतान
वो assignment की छपाई
और आखिरी रात की पढ़ाई
ये पल जो बीत गये
फिर लौट के न आयेंगे
जी गये जो लम्हे उन्हें
फिर हम से जी न पायेंगे
आभारी हूँ मैं आप सभी का
जो साथ निभा दिया
मैं तो तनहा चला था सफ़र में
कारवाँ आपने बना दिया
-
देवश्री
देवश्री
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